Refined oil vs Mustard oil​ (रिफाइंड oil vs मस्टर्ड oil)

रिफाइंड तेल vs सरसों का तेल (Refined oil vs Mustard oil )

खाना पकाने के लिए विभिन्न प्रकार के तेलों का उपयोग किया जाता है। आइए देखें कि सोयाबीन तेल, रिफाइंड तेल और सरसों के तेल के बीच क्या अंतर है:

  • सोयाबीन तेल: सोयाबीन तेल में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड्स होते हैं, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं। यह तेल उच्च तापमान पर पकाने के लिए उपयुक्त है और इसका उपयोग विभिन्न व्यंजनों में किया जाता है।
  • रिफाइंड तेल: रिफाइंड तेल एक प्रोसेस्ड तेल है जिसे प्राकृतिक तेलों से अशुद्धियों को हटाकर बनाया जाता है। इसमें कम स्वाद और गंध होती है, लेकिन इसमें पोषक तत्वों की कमी भी होती है। यह उच्च तापमान पर पकाने के लिए उपयुक्त है, लेकिन इसका अधिक सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
  • सरसों का तेल: सरसों का तेल भारत में एक पारंपरिक तेल है जो अपने मजबूत स्वाद और सुगंध के लिए जाना जाता है। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड्स, विटामिन ई और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। यह हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छा है और उच्च तापमान पर पकाने के लिए उपयुक्त है।
refined oil vs mustard oil
refined oil vs mustard oi

 

भारतीय मार्केट में कई प्रकार के तेल मिलते हैं जैसा कि हम सभी जानते हैं उच्च गुणवत्ता वाले तेल को हम सभी महंगे दामों पर ही खरीदते हैं क्योंकि वह बाजार में महंगे दामों पर ही उपलब्ध होते हैं साथ ही साथ वो रिफाइन तेल जो सस्ते दामों पर हमें मिल जाते हैं रिफाइन तेल बिल्कुल भी अच्छे नहीं होते हैं मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए जबकि सरसों का तेल व अन्य सभी तेल जो कोल्ड प्रेस ऑयल के माध्यम से बनाए जाते हैं वो बहुत ही अच्छे गुणवत्ता वाले और हाँ उचित पोषाहार के होते हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी होते हैं कोल्ड प्रेस पॉल एक अच्छा माध्यम है मनुष्य के लिए तेल प्राप्त करने के लिए साथ ही साथ इस ब्लॉग के अंदर हम रिफाइन ऑयल और मस्टर्ड ऑयल के बीच कंपेरिजन भी करेंगे जिससे आपको पता चली कि कौन सा ऑयल ज्यादा अच्छा है

 

रिफाइंड ऑयल: क्या है और क्यों है विवादित?

रिफाइंड ऑयल, यानी परिष्कृत तेल, आजकल हर घर में पाया जाता है। खाना पकाने से लेकर सलाद तक, इसका इस्तेमाल लगभग हर जगह होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रिफाइंड ऑयल क्या होता है और इसका सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना सुरक्षित है? आइए विस्तार से जानते हैं।

रिफाइंड ऑयल क्या है?

रिफाइंड ऑयल उन तेलों को कहते हैं जिन्हें प्राकृतिक रूप से प्राप्त तेलों को कई प्रक्रियाओं से गुजारकर शुद्ध किया जाता है। इस प्रक्रिया में तेल से रंग, गंध और स्वाद हटा दिए जाते हैं। इसे अधिक स्थिर और लंबे समय तक चलने योग्य बनाने के लिए हाइड्रोजनीकरण की प्रक्रिया से गुजारा जाता है।

रिफाइंड ऑयल के फायदे

  • उच्च धूम्र बिंदु: रिफाइंड तेल का धूम्र बिंदु अधिक होता है, जिसका मतलब है कि यह उच्च तापमान पर पकाने के लिए उपयुक्त है।
  • रंगहीन और गंधहीन: इसका रंग और गंध नहीं होता है, इसलिए यह भोजन के स्वाद को प्रभावित नहीं करता है।
  • लंबी शेल्फ लाइफ: रिफाइंड तेल लंबे समय तक खराब नहीं होता है।

रिफाइंड ऑयल के नुकसान

  • पोषक तत्वों की कमी: रिफाइंड करने की प्रक्रिया में तेल से अधिकांश पोषक तत्व जैसे विटामिन और खनिज हटा दिए जाते हैं।
  • ट्रांस फैटी एसिड: हाइड्रोजनीकरण की प्रक्रिया से ट्रांस फैटी एसिड बनते हैं, जो हृदय रोग, मोटापा और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
  • ऑक्सीकरण: रिफाइंड तेल ऑक्सीकरण के लिए अधिक संवेदनशील होता है, जिससे हानिकारक मुक्त कण बनते हैं।
  • सूजन: कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि रिफाइंड तेल सूजन को बढ़ा सकता है, जो कई बीमारियों का कारण बन सकता है।

रिफाइंड ऑयल के विकल्प

  • नारियल का तेल: नारियल का तेल में मध्यम श्रृंखला वाले ट्राइग्लिसराइड्स होते हैं, जो ऊर्जा प्रदान करते हैं और वजन घटाने में मदद कर सकते हैं।
  • जैतून का तेल: जैतून का तेल में मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड होते हैं, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं।
  • सरसों का तेल: सरसों का तेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं, जो सूजन को कम करने और हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।

निष्कर्ष

रिफाइंड ऑयल के फायदे और नुकसान दोनों हैं। हालांकि यह पकाने के लिए सुविधाजनक है, लेकिन इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इसलिए, जितना हो सके रिफाइंड ऑयल का सेवन कम करना चाहिए और इसके बजाय प्राकृतिक तेलों का उपयोग करना चाहिए।

अंत में, स्वस्थ रहने के लिए संतुलित आहार लेना और नियमित व्यायाम करना बहुत जरूरी है।

सोयाबीन: पोषण का खजाना

सोयाबीन एक अत्यंत पौष्टिक फलियां है जो प्रोटीन, विटामिन, खनिज और फाइबर से भरपूर होती है। इसे “मिट्टी का मांस” भी कहा जाता है क्योंकि इसमें प्रोटीन की मात्रा काफी अधिक होती है। सोयाबीन का उपयोग विभिन्न रूपों में किया जाता है, जैसे कि सोयाबीन दाने, सोयाबीन का दूध, सोयाबीन का तेल, टोफू, टेम्पे आदि।

सोयाबीन के स्वास्थ्य लाभ:

  • प्रोटीन का समृद्ध स्रोत: सोयाबीन में उच्च मात्रा में प्रोटीन होता है, जो मांसाहारी और शाकाहारी दोनों के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प है। प्रोटीन मांसपेशियों के निर्माण, हड्डियों की मजबूती और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद करता है।

 

  • हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभदायक: सोयाबीन में मौजूद आइसोफ्लेवोन नामक यौगिक हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं। ये यौगिक कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करते हैं और रक्तचाप को कम करते हैं।

 

  • हड्डियों को मजबूत बनाता है: सोयाबीन में कैल्शियम और विटामिन K मौजूद होते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाने और ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं।

 

  • पाचन में सहायक: सोयाबीन में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो पाचन को सुधारता है और कब्ज की समस्या से राहत दिलाता है।

 

  • वजन प्रबंधन में सहायक: सोयाबीन में प्रोटीन और फाइबर की उच्च मात्रा आपको लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराती है, जिससे आपको कम खाने में मदद मिलती है और वजन प्रबंधन में सहायता मिलती है।

 

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